‘महर्षि वेदव्यास : बदरीनाथ से ब्यास पिंड तक’ किताब रिलीज़

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जालंधर | ब्यास पिंड में स्थित महर्षि वेद व्यास कुंड मंदिर में रविवार को ‘महर्षि वेदव्यास : बदरीनाथ से ब्यास पिंड तक’ किताब रिलीज़ की गई। सादे और प्रभावशाली समारोह में लेखन, सामाजिक और राजनीति से जुड़े कई गणमान्य लोग शामिल हुए। लेखक डा. सतीश कपूर, वरिष्ठ पत्रकार इरविन खन्ना, पूर्व सीपीएस केडी भंडारी, पूर्व आईपीएस एसके कालिया, राजेश विज, रत्न चंद रिषि और यादव खोसला आदि ने किताब रिलीज की।

किताब को वरिष्ठ पत्रकार और संपादक योगेश्वर दत्त सुयाल ने लिखा है। पारिवारिक कारणों के कारण वो समागम में शामिल नहीं हो सके।

डा. सतीश कपूर ने कहा कि ये एक ऐतिहासिक पुस्तक है जो इस इलाके के महाभारत से जुड़े मिथिहास से निकले हुए इतिहास को दर्शाती है। पुस्तक को लिखने के लिए लेखक हर जगह गए हैं, वहां के लोगों से बातचीत की है और वहां प्रचलित इतिहास से जुड़ीं बातों को इसमें शामिल किया है। इसके बारे में लोगों जो जानना चाहिए।

वरिष्ठ पत्रकार इरविन्न खन्ना ने कहा कि ब्यास पिंड, जहूरा कल्याणपुर, अर्जनवाल आदि के महाभारत काल से जुड़े इतिहास को लोगों के सामने लाने के लिए सभा के प्रधान रतन चंद रिषि जी 95 साल की उम्र में भी काम कर रहे हैं, ये बड़ी बात है। लोगों को इस किताब के जरिए इन स्थानों को गहराई से जानने का मौका मिलेगा। हमें अपने बच्चों को भी इन स्थानों पर लेकर जाना चाहिए ताकि वो धर्म के साथ जुड़ सकें।

प्राचीन शिव मंदिर दोमोरिया पुल के प्रधान यादव खोसला ने कहा कि जालंधर-पठानकोट रोड पर स्थित ब्यास पिंड में प्राची महर्षि वेद व्यास कुंड सभा मंदिर को तीर्थ के रूप में विकसित करना चाहिए। ये धार्मिक और पर्यटन केंद्र के रूप में पंजाब का बड़ा स्थान बन सकता है।

ब्यास पिंड के बारे में मान्यता है कि महर्षि वेदव्यास ने यहां तपस्या की। गांव में एक कुंड बना हुआ है। इसे साढ़े पांच हजार साल पुराना मानते हैं। लोग मानते हैं कि वनवास के दौरान पाँडव महर्षि वेदव्यास से आशीर्वाद लेने यहां आते थे। गांव में आज भी कई परिवार अपने घर-परिवार में शुभ कार्यों की शुरुआत इसी कुंड पर माथा टेककर करते हैं। हर साल आषाढ़ की पूर्णिमा पर यहां व्यास पूजा होती है। इस दिन वेदव्यास का जन्म माना जाता है। इसे पूरे भारत में गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाते हैं। ब्यास दरिया पहले इसी गांव से होकर बहता था। तब शायद गांव नहीं रहा होगा। नदी किनारे महर्षि व्यास का तपस्थल था।
महर्षि वेदव्यास कुंड सभा के प्रधान रतन चंद्र ऋषि ने कहा कि इलाके में खुदाई कराई जाए तो इधर नदी बहने के प्रमाण भी मिल सकते हैं। वह कहते हैं कि महर्षि व्यास ने यहां वेदों का सार किया। उन्हें बेदोब्यास कहा जाने लगा और दरिया का नाम ब्यास पड़ गया।

समारोह में प्रोफेसर वीबी आचार्य, पवन गोस्वामी, गुरदीप पठानिया, विवेक खन्ना, शैली खन्ना, एडवोकेट बलदेव राज शर्मा, रमन मीर, सतपाल कुशवाहा, इमरान खान, नवनीत जालंधरी, धर्मेंद्र तिवारी, अरुण बजाज, किशन लाल शर्मा, मक्खन लाल शर्मा, भरत बब्बर, परीक्षित वधवा, विजय चोपड़ा, गुरचरण बजाज, अनिल सहगल, मानव बजाज, वीरेंद्र मलिक, अश्वनी शर्मा, मोहित शर्मा, इंद्रजीत राही, पूजा शर्मा, सुमेश शर्मा, अरुण कौल, दीपक झांजी, जगमोहन खोसला, मनमोहन सिंह, दयाल वर्मा, ममता शर्मा, पन्ना लाल, संतोष कुमारी, रमेश लाल, कमला रानी, बाबू राम कुमार, राजा शर्मा, विजय कुमार, अजय कुमार, नरेंद्र कुमार, कुलदीप कुमार, संदीप निज्जर, राजेंद्र कुमार, राकेश कुमार, मधु रानी, पलविंदर और बलबीर निज्जर आदि शामिल थे।