सस्पेंस, मर्डर मिस्ट्री और जासूसी पर शानदार नॉवेल है कुमार रहमान का ‘पीला तूफ़ान’

0
153

लेखक: कुमार रहमान
✒ ई बुक रीडिंग: 165,257
✒ रिव्यूः 3502
✒ रेटिंगः 4.7 Out Of 5

समरी

शाम का समय था। राजधानी के लोग रोजमर्रा के कामों में व्यस्त थे। आसमान पर हल्के बादल छाए हुए थे। तभी बादलों का रंग अचानक पीला होने लगा। शुरू में किसी ने ध्यान नहीं दिया। कुछ देर बाद जब पीलापन ज्यादा बढ़ गया तो लोगों में कौतूहल बढ़ने लगा। धीरे धीरे यह कौतूहल दहशत में तब्दील हो गया।

अगले दिन सुबह कोतवाली के सामने एक विदेशी महिला की लाश मिली। लाश पर कोई भी कपड़ा नहीं था और उसके शरीर पर पीला पेंट पुता हुआ था। पुलिस अभी तफ्तीश कर ही रही थी कि एक दूसरी लाश पुलिस कमिश्नर के दफ्तर के सामने सुबह सुबह बरामद हुई। आश्चर्य की बात यह थी कि इस लाश की शक्ल हूबहू पहले वाली लाश जैसी ही थी। इस लाश के शरीर पर भी कोई कपड़ा मौजूद नहीं था और पीला पेंट पुता हुआ था। यह महिला भी विदेशी ही थी। दोनों महिलाओं की मौत की वजह पोस्टमार्टम में भी जाहिर नहीं हो सकी।

दो-दो विदेशी महिलाओं की लाश कोतवाली और कमिश्नर ऑफिस के सामने मिलने से पुलिस विभाग की चूलें हिल गईं। नतीजे में यह केस खुफिया विभाग के इंस्पेक्टर कुमार सोहराब को सौंप दिया गया। सोहराब और उसके असिस्टेंट सार्जेंट मुजतबा सलीम ने तफ्तीश शुरू कर दी। इस बीच उन्हें दूसरी लाश के पास सोने की पिन मिलने के बारे में पता चला। पिन पा कर सोहराब चौंक पड़ा था।

अभी खुफिया विभाग की जांच चल ही रही थी कि एक तीसरी हमशक्ल शहर में नजर आने लगी। तीसरी हमशक्ल के आ जाने से मामला और पेचीदा हो गया। इस बीच तीसरी हमशक्ल की जान लेने की कोशिशें शुरू हो गईं। उस को मारने के कई असफल प्रयास किए गए।

सोहराब की नजर एक ऐसे आदमी पर थी, जिसकी नाक बहुत लंबी और सर गंजा था। वह आंखों पर गोल फ्रेम का चश्मा लगाता था। चश्मे की वजह से उसकी शक्ल उल्लुओं जैसी नजर आती थी। एक दिन उसे वह आदमी फंटूश रोड की एक कोठी में जाता हुआ नजर आता है। सोहराब को मालूम चलता है कि उस कोठी में एक बूढ़ा रहता है। अजीब बात यह है कि उस कोठी में हर दिन कई ट्रे अंडे जाते हैं। इंस्पेक्टर सोहराब को तफ्तीश के दौरान अंदाजा हो जाता है कि यह सभी अंडे उबले हुए होते हैं। उसकी समझ में नहीं आता है कि आखिर इतने उबले अंडों का वह लोग करते क्या हैं। उस कोठी में सिर्फ दो लोग ही रहते हैं। एक बूढ़ा और एक उसकी बेटी।

पोताई वाले का भेस धर कर सोहराब एक दिन कोठी के भीतर पहुंच जाता है। वहां ड्राइंग रूम में उसे कुछ अंडे रखे नजर आ जाते हैं। उन्हें वह चुरा कर भाग खड़ा होता है। लैब में चेकिंग के जब अंडों का खोल हटाया गया तो उस पर कोडवर्ड में कुछ मैसेज उभरे हुए नजर आए। दूसरे विश्वयुद्ध में फौजियों तक संदेश भेजने के लिए ऐसे ही अंडों का इस्तेमाल किया जाता था। फिटकिरी के घोल से उबले अंडों पर लिखने से इबारत अंदर जज्ब हो जाती है। बाद में छिलके हटाकर उस इबारत को पढ़ा जा सकता है।

इस बीच एक दिन उल्लू जैसी शक्ल के आदमी का उसके घर में कत्ल हो जाता है। इसके साथ ही घर में आग भी लगा दी जाती है। सोहराब को उसके घर से भी कुछ उबले अंडे मिलते हैं। वहां से सोहराब को एक कोड मिलता है। उस कोड को डिकोड करने के बाद इंस्पेक्टर सोहराब को गीतमपुर का पता चलता है। वहां जाते हुए रास्ते में उस पर जानलेवा हमला किया जाता है। किसी तरह से बच कर सोहराब गीतमपुर पहुंचने में कामयाब हो जाता है।

गीतमपुर में इंस्पेक्टर सोहराब कोडवर्ड में दिए गए पते को तलाश निकालता है। वहां खोजबीन में उसके सामने कुछ नए रहस्य उजागर होते हैं। वह वहां तफ्तीश पूरी करने के बाद बड़ी खोमोशी से राजधानी लौट आता है।

उधर, शहर में सार्जेंट सलीम तीसरी हमशक्ल के साथ एक होटल में डांस का स्पेशल प्रोग्राम देख रहा था। अचानक हाल में पीला तूफान घुस आता है। सलीम बचाव में कुछ कर पाता तभी उसके सर के पीछे किसी भारी चीज से चोट पहुंचाई गई। वह बेहोश कर गिर पड़ा। बेहोश होने से पहले उसने तीसरी हमशक्ल के चीखने की आवाज सुनी थी। आगे क्या होता है, यह जानने के लिए यह उपन्यास पढ़ना होगा।

(इस उपन्यास को रेड ग्रैब पब्लिकेशन ने भारत सहित नौ देशों यूएस, रशिया, यूके, फ्रांस, कनाडा, आस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, जर्मनी और पोलैंड में भी प्रकाशित किया है। इसे अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील से मंगा सकते हैं।)